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प्रभु से हर व्यक्ति की एक ही प्रार्थना होनी चाहिए l जानिए क्या?
एक छोटी सी प्रार्थना * * हे प्रभु! * मेरे * पैरों * में इतनी * शक्ति * देना कि * दौड़~दौड़ * कर * आपके दरवाजे * आ सकूँ। मुझे एेसी * सद्बुद्धि * देना कि * सुबह-शाम * घुटने के बल बैठकर आपको * प्रणाम * कर सकूँ। १०० साल * जीऊँ * या पचास साल यह आपकी * मर्जी। * मेरी * अर्जी * तो सिर्फ इतनी है कि * जब तक जीऊँ, जिह्वा पर आपका नाम रहे, देने में मेरे हाथ कभी थके नहीं। * * मेरे मालिक! * * प्रेम * से भरी हुई * आँखें * देना, * श्रद्धा * से झुुका हुआ * सिर * देना, * सहयोग * करते हुए * हाथ * देना, * सत्पथ * पर चलते हुए * पाँव * देना और * सिमरण * करता हुआ * मन * देना। * हे प्रभु! * अपने * बच्चों * को अपनी * कृपादृष्टि * देना, * सद्बुद्धि * देना। * 🙏🏻पल पल साथ रहना प्रभु 🙏🏻 *
प्रभु श्रीराम के पुत्र लव ने बसाया था लाहौर! प्राचीन ग्रंथों में लहौर शहर का लवपुर नाम से उल्लेख मिलता है
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं। लाहौर पुराने पंजाब की राजधानी है जो रावी नदी के दाहिने तट पर बसा हुआ है। प्राचीन ग्रंथों में लहौर शहर का लवपुर नाम से उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि यह लवपुर भगवान श्रीरामचंद्र के पुत्र लव (लोह) ने बसाया था। लाहौर के किले में आज भी प्रभु श्रीराम के पुत्र लव का एक मंदिर विराजमान है। हालांकि मंदिर में पूजा प्रार्थना पर प्रतिबंध लगा हुआ है। जब भारत आजाद हुआ था तब यहां लगभग 36 प्रतिशत आबादी हिन्दू और सिखों की हुआ करती थी। हालांकि इतिहासकार मानते हैं कि लाहौर को संभवतः ईसवी सन् की शुरुआत में बसाया गया होगा। ईसा की सातवीं शताब्दी में शहर इतना महत्त्वपूर्ण था कि उसका उल्लेख चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी किया है। शत्रुंजय के एक अभिलेख में लवपुर या लाहौर को लामपुर भ...
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