कुछ महापुरुषों की जन्म तिथियों के आधार पर जानते हैं कि कितना पुराना है हिन्दू धर्म? जानेंगे तो रह जाएंगे हैरान

कोई लाखों वर्ष, तो कोई हजारों वर्ष पुराना मानता है हिन्दू धर्म को। लेकिन क्या यह सच है? आओ हम कुछ महापुरुषों की जन्म तिथियों के आधार पर जानते हैं कि कितना पुराना है हिन्दू धर्म? हिन्दू धर्म की पुन: शुरुआत वराह कल्प से होती है। इससे पहले पद्म कल्प, ब्रह्म कल्प, हिरण्य गर्भ कल्प और महत कल्प बीत चुके हैं


सम्राट विक्रमादित्य : 2,100 साल पहले हिन्दू धर्म
विक्रमादित्य के पिता गंधर्वसेन और बड़े भाई भर्तृहरि थे। कलिकाल के 3,000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उनके काल में हिन्दू धर्म ने महान ऊंचाइयों को प्राप्त किया था। वे एक ऐतिहासिक पुरुष थे।
आचार्य चाणक्य : 2,300 साल पहले हिन्दू धर्म
चाणक्य का जन्म ईस्वी पूर्व 371 में हुआ था जबकि उनकी मृत्यु ईस्वी पूर्व 283 में हुई थी। चाणक्य का उल्लेख मुद्राराक्षस, बृहत्कथाकोश, वायुपुराण, मत्स्यपुराण, विष्णुपुराण, बौद्ध ग्रंथ महावंश, जैन पुराण आदि में मिलता है। चाणक्य के समय ही भारत पर सिकंदर का आक्रमण हुआ था।

भगवान महावीर स्वामी : 2,650 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
जैन धर्म के पुनर्संस्थापक महावीर स्वामी का जन्म ईस्वी पूर्व 599 में हुआ था। वे जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे। उनके काल में भी हिन्दू धर्म भारत का प्रमुख धर्म था। उनके काल में ही भगवान बुद्ध (563 ईस्वी पूर्व) ने अपना एक नया धर्म स्थापित किया था।
भगवान पार्श्वनाथ : 2,850 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
भगवान महावीर स्वामी के 250 वर्ष पहले 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ हुए थे। माना जाता है कि उनके काल में हिन्दू धर्म भारत का राजधर्म हुआ करता था। पार्श्वनाथ के समय भारत में बहुत शांति और समृद्धि थी।

भगवान श्रीकृष्ण : 5,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
ऐतिहासिक शोध के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईस्वी पूर्व मथुरा में हुआ था। जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर अरिष्ट नेमिनाथ भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे। गीता हिन्दुओं का प्रमुख धर्मग्रंथ है, जो कि महाभारत एक हिस्सा है।
भगवान श्रीराम : 7,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम के जन्म के समय आकाश में पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान 5 ग्रह अपने उच्च स्थान में थे। वाल्मीकि द्वारा बताई गई यह स्थिति आज से 7,131 वर्ष पहले निर्मित हुई थी।

वैवस्वत मनु : 8,500 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
अनुमानित रूप से 6673 ईसा पूर्व वैवस्वत मनु हुए थे। इन मनु के काल में ही जलप्रलय हुई थी। कई माह तक वैवस्वत मनु और उनके लोगों द्वारा नाव में ही गुजारने के बाद उनकी नाव गौरी-शंकर के शिखर से होते हुए जल के उतरने के साथ ही नीचे उतरी। तब फिर से धरती पर मनुष्यों का जीवन चक्र चला। माथुरों के इतिहास में उनके होने की यही तिथि लिखी है।
सम्राट ययाति : 9,000 वर्ष पूर्व हिन्दू धर्म
सम्राट ययाति के प्रमुख 5 पुत्र थे- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है। अनुमानित रूप से 7,200 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9,217 वर्ष पूर्व ययाति के इन पांचों पुत्रों का संपूर्ण धरती पर राज था। पांचों पुत्रों ने अपने-अपने नाम से राजवंशों की स्थापना की। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, द्रुहु से भोज, अनु से मलेच्छ और पुरु से पौरव वंश की स्थापना हुई। ययाति प्रजापति ब्रह्मा की 10वीं पीढ़ी में हुए थे।
स्वायम्भुव मनु : 11,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
माथुरों के इतिहास के अनुसार स्वायम्भुव मनु अनुमानित 9057 ईसा पूर्व हुए थे। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ स्वायम्भुव मनु से 5वीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायम्भुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। ऋषभनाथ के 2 पुत्र थे- चक्रवर्ती सम्राट भरत और बाहुबली। स्वायम्भुव मनु को धरती का पहला मानव माने जाने के कई कारण हैं। धर्मशास्त्र और प्राचेतस मनु को अर्थशास्त्र का आचार्य माना जाता है। मनुस्मृति ने सनातन धर्म को आचार संहिता से जोड़ा था।
ब्रह्मा : 14,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
अनुमानित रूप से लगभग 12,000 ईसा पूर्व भगवान ब्रह्मा के कुल की शुरुआत हुई। ब्रह्मा के प्रमुख पुत्र ये थे- मारिचि, अत्रि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह, कृतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष, कंदर्भ, नारद, सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार, स्वायम्भुव मनु और चित्रगुप्त। मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप थे जिनके देवता, दैत्य, दानव, राक्षस आदि सैकड़ों पुत्र थे। ब्रह्मा को प्रजातियों की उत्पत्ति का श्रेय जाता है।
नील वराह : 16,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
कहते हैं कि लगभग 14,000 विक्रम संवत पूर्व अर्थात आज से 15,923 वर्ष पूर्व भगवान नील वराह ने अवतार लिया था। नील वराह काल के बाद आदि वराह काल और फिर श्वेत वराह काल हुए। इस काल में भगवान वराह ने धरती पर से जल को हटाया और उसे इंसानों के रहने लायक बनाया था। उसके बाद ब्रह्मा ने इंसानों की जाति का विस्तार किया और शिव ने संपूर्ण धरती पर धर्म और न्याय का राज्य कायम किया। इससे पहले लोग स्वर्ग या कहें कि देवलोक में रहते थे। हालांकि मानव तब भी था लेकिन सभ्यता की शुरुआत यहीं से मानी जाती है। इस वीडियो में उल्लेखित समय अनुमानित और पुराणों से प्राप्त हैं। हिन्दू धर्म की यह कहानी वराह कल्प से ही शुरू होती है जबकि इससे पहले का इतिहास भी पुराणों में दर्ज है जिसे मुख्य 5 कल्पों के माध्यम से बताया गया है। जम्बूद्वीप का पहला राजा स्वायम्भुव मनु ही था।
पीढ़ियों का उल्लेख
ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए। 6673 ईसा पूर्व वैवस्वत मनु हुए थे। वैवस्वत मनु के कुल की 64वीं पीढ़ी में भगवान राम हुए थे और राम के पुत्र कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत में कौरवों की ओर से लड़े थे। महाभारत का युद्ध 3000 ईस्वी पूर्व हुआ था।

प्राचीन ग्रंथों में मानव इतिहास को 5 कल्पों में बांटा गया है- (1) हमत् कल्प 1 लाख 9,800 वर्ष विक्रम संवत पूर्व से आरंभ होकर 85,800 वर्ष पूर्व तक, (2) हिरण्य गर्भ कल्प 85,800 विक्रम संवत पूर्व से 61,800 वर्ष पूर्व तक, ब्राह्म कल्प 60,800 विक्रम संवत पूर्व से 37,800 वर्ष पूर्व तक, (3) ब्रह्म कल्प 60,800 विक्रम संवत पूर्व से 37,800 वर्ष पूर्व तक, (4) पद्म कल्प 37,800 विक्रम संवत पूर्व से 13,800 वर्ष पूर्व तक और (5) वराह कल्प 13,800 विक्रम संवत पूर्व से आरंभ होकर इस समय तक चल रहा है।
अब तक वराह कल्प के स्वायम्भुव मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तामस मनु, रैवत मनु, चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वंतर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अंतरदशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी संवत् प्रारंभ होने से 5,630 वर्ष पूर्व हुआ था।

-संदर्भ पुराण और महाभारत

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  1. भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे।

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