महाबली राजा बालि के 10 रहस्य, जानिए... जब इंद्र ने बाली को मार दिया तब कैसे जिंदा होकर शक्तिशाली बना बालि?

महान राजा बालि : राजा बलि (लगभग 9078 ईसा पूर्व)। असुरों के राजा बलि की चर्चा पुराणों में बहुत होती है। वह अपार शक्तियों का स्वामी लेकिन धर्मात्मा था। दान-पुण्य करने में वह कभी पीछे नहीं रहता था। उसकी सबसे बड़ी खामी यह थी कि उसे अपनी शक्तियों पर घमंड था और वह खुद को ईश्वर के समकक्ष मानता था और वह देवताओं का घोर विरोधी था। भारतीय और हिन्दू इतिहास में राजा बलि की कहानी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके बाद एक नए युग की शुरुआत हुई थी। हालांकि राजा बलि फिर भी महान और शक्तिमान है और आज भी वह महान और शक्तिमान बनकर घूम रहा है।




दरअसल, वृत्र (प्रथम मेघ) के वंशज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद था और प्रहलाद का पुत्र विरोचन था और विरोचन का पुत्र बाली था। मोटे तौर पर वृत्र या मेघ ऋषि के वंशजों को मेघवंशी कहा जाता है। राजा बलि की सहायता से ही देवराज इन्द्र ने समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन से प्राप्त जब अमृत पीकर देवता अमर हो गए, तब फिर से देवासुर संग्राम छिड़ा और इन्द्र द्वारा वज्राहत होने पर बलि की मृत्यु हो गई। ऐसे में तुरंत ही शुक्राचार्य के मंत्रबल से वह पुन: जीवित हो गया। लेकिन उसके हाथ से इन्द्रलोक का बहुत बड़ा क्षेत्र जाता रहा और फिर से देवताओं का साम्राज्य स्थापित हो गया। तब बाली ने ने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या और धरती का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गया। केरल में आज भी महाबली की याद में ओणम पर्व मनाया जाता है।

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